साथ

02/10/2024

अब पता नहीं कहाँ है प्यार,

और कहाँ है हम।


मैं तो बस पूछूं इतना,

साथ उड़ोगे क्या?

इस लंबे सफर पे,

कुछ लम्हे साथ चलोगे क्या?


अगर भविष्य की एक खूबसूरत सी तसवीर बनाऊं,

तो उसमें रंग भरोगे क्या,

उसे और सुंदर करोगे क्या?


होली, दीवाली, ईद या आने वाले वो नए साल,

साथ मनाओगे क्या,

उनका एक हिस्सा मुझे भी बनाओगे क्या?


साथ में थोड़ा हंसोगे क्या?

करने को तो बहुत कुछ है...

रोना, गुस्साना, कुछ पाना, बहुत कुछ पीछे छोड़ जाना,

साथ में करोगे क्या?


अगर मुझसे पूछो तुम,

तो ये सब करना चाहूं तुम्हारे साथ।

मैं तो बस पूछूं इतना,

कि इस जीवन की घड़ी में,

अगर मैं प्रहरसूचक बनूं,

तो तुम मेरे क्षणसूचक बनोगे क्या?